मंगलवार, जनवरी 06, 2015

आई सी यू में अलौकिक शक्ति का रहस्य :-)

एक हॉस्पिटल के आई सी यू में 
हर रविवार 
एक ही बिस्तर पे ठीक 11 बजे 
एक मौत हो रही थी 
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हर रविवार उसी बेड पर 
ठीक उसी समय हो रही मौत 
डॉक्टरों की समझ से परे थी, 
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अंत में डॉक्टर ये मानने को मजबूर हो गए कि 
ज़रूर ये किसी अलौकिक शक्ति की वजह से हो रहा है 
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मौत के कारण का पता लगाने के लिए 
विश्वस्तरीय डॉक्टरों की एक टीम गठित की गई , 
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टीम को अगले रविवार का बेसब्री से इंतज़ार था 
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अगले रविवार सुबह 11 बजे से 
कुछ मिनट पहले ही सारे डॉक्टर और नर्स 
बेड के चारों ओर खड़े हो गए, 
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सब मौत का कारण जानने के लिए अत्यंत उत्सुक थे -
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11 बजने ही वाले थे कि 
.


 
तभी 
अचानक पार्ट टाइम स्वीपर 
I.C.U. में दाखिल होती है , 
और उस बेड के 
 लाइफ सपोर्ट सिस्टम का प्लग हटाकर 
अपना मोबाइल चार्ज पे लगा देती है 




:-) :-) :-) 
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The End 
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गजोधर को मिला जादुई चिराग :-)

एक बार गजोधर को एक चिराग मिला। 
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उसे ज़मीन पे घिसा तो एक जिन्न प्रकट हो गया 
और बोला :- आप मेरे आका हो, आपकी तीन wishes मैं पूरी करूँगा । 
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गजोधर ने कुछ पल सोचा और बोला :- 

"पहली wish तो यह है कि दारू की एक ऐसी बोतल दो जिसमें दारू कभी खत्म न हो । 
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जिन्न :- जो हुक्म मेरे आका ... और एक बोतल दे देता है । 
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गजोधर को यकीन नहीं हुआ, वो चेक करने के लिए पीना शूरू करता है 
 और जैसे ही वो आखिरी पैग बनाता है बोतल फिर पूरी भर जाती है। 
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जिन्न :- मेरा आका आप दो और wishes मांग सकते हो 
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गजोधर :- तू ऐसा कर जिन्न भाई...... ऐसी ही दो बोतलें और दे दे !!! 




:-) :-) :-)
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The End 
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रविवार, दिसंबर 28, 2014

लेडीज को सीट ऑफर :-)

एक साहब सुबह-सुबह ऑफिस जाने के लिए बस में चढ़े तो 
कंडक्टर ने मुस्कुराते हुए पूछा :– 

“कल रात ठीक-ठाक घर पहुँच गए थे सर ?” 
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साहब: – “क्यों ? कल रात को मुझे क्या हुआ था ?” 
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कंडक्टर – “टुन्न थे आप !” 
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साहब (गुस्से से) :– “ये तुम कैसे कह सकते हो ? मैंने तो तुमसे बात तक नहीं की थी ?” 
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कंडक्टर: – “ऐसा है सर जी, कल जब आप बस में बैठे हुए थे तो एक मैडम बस में चढीं थी और आपने उठकर उन्हें सीट ऑफर की थी !” 
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साहब: – “तो ? लेडीज को सीट ऑफर करना गुनाह है क्या ???” 
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कंडक्टर :– “गुनाह तो नहीं है सर, पर उस समय बस में केवल आप दो ही पैसेंजर थे !!!” 

:-)  :-)  :-)
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The End 
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शनिवार, दिसंबर 27, 2014

नज़रिए का फर्क

एक प्रख्यात लेखक अपने स्टडी रूम में बैठे थे। उन्होंने पेन उठाया और लिखना शुरू किया :- 

"पिछले वर्ष मेरा ऑपरेशन हुआ और गॉल ब्लॉडर निकल दिया गया, इसकी वजह से लम्बे समय तक मैं बिस्तर पर रहा। इसी साल मेरी उम्र 60 वर्ष की हो गयी और मुझे अपनी पसंदीदा जॉब छोड़नी पड़ी। मैंने अपने जीवन के 30 साल इस पब्लिशिंग कंपनी में बिताये। इसी वर्ष मुझे पिता जी की मौत के दर्द से भी मुझे गुजरना पड़ा … और इसी साल मेरा बेटा कार एक्सीडेंट की वजह से अपने मेडिकल इम्तिहान में भी फेल हो गया .... उसे कई दिनों तक हॉस्पिटल में रहना पड़ा। कार ख़राब हो गयी सो अलग।" 
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अंत में उसने लिखा - "ओह ~~ ये बहुत ही ख़राब वर्ष रहा।" 
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लेखक अपने शोक में डूबा हुआ था, तभी उसकी पत्नी कमरे में आई। उसने पीछे खड़े होकर पति के लिखे विचारो को पढ़ा। वो चुपचाप कमरे से बाहर चली गई। थोड़ी देर बाद वो एक दूसरा पेपर ले कर आई और अपने पति द्वारा लिखे पेपर के बगल में रख दिया। 
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लेखक ने देखा कि उस पेपर में लिखा हुआ था :- 

"पिछले साल मुझे अपने गाल ब्लेडर से छुटकारा मिल गया, जिसकी वजह से इतने साल मैंने दर्द में गुजारे। बहुत अच्छे स्वास्थ्य के साथ मैंने 60 वर्ष पुरे किये और अपनी जॉब से रिटायर हो गया। अब मैं अपना समय और बेहतर लिखने में बिताऊंगा बताउगा। इसी वर्ष भगवान ने मेरे बेटे को नया जीवन प्रदान किया। मेरी गाड़ी जरूर बर्बाद हो गयी लेकिन मेरा बेटा बिना किसी अपंगता के सकुशल है। इसी साल मेरे पिता 85 वर्ष की आयु में बिना किसी पर निर्भर हुए भगवन के पास चले गए।" 

अंत में लिखा था - "भगवन के आशीर्वाद से भरा ये साल बहुत अच्छा बीता।" 
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देखा आपने ? 
एक ही घटना लेकिन नजरिया अलग अलग। 
अगर सकारात्मक सोच हो तो जीवन को बेहतर ढंग से जिया जा सकता है ! 

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The End
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कर्मचारी की शिकायत और मैनेजर का केलकुलेशन

दो वर्ष तक नौकरी करने के बाद एक व्यक्ति को समझ में आया कि इन दो सालों में न कोई प्रमोशन, ना ट्रांसफ़र, ना कोई तनख्वाह वृद्धि, और कम्पनी इस बारे में कुछ नहीं कर रही है.. 
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उसने फ़ैसला किया कि वह HR मैनेजर से मिलेगा और अपनी बात रखेगा... लंच टाईम में वह HR मैनेजर से मिला और उसने अपनी समस्या रखी.. 
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HR मैनेजर बोला, मेरे बच्चे तुमने इस कम्पनी में एक दिन भी काम नहीं किया है... 

कर्मचारी भौंचक्का हो गया और बोला - ऐसा कैसे.. ? पिछले दो वर्ष से मैं यहाँ काम कर रहा हूँ.. 

HR मैनेजर बोला - देखो मैं समझाता हूँ... एक साल में कितने दिन होते हैं ? 

कर्मचारी - 365 या 366 

मैनेजर - एक दिन में कितने घंटे होते हैं ? 

कर्मचारी - 24 घंटे 

मैनेजर - तुम दिन में कितने घंटे काम करते हो ? 

कर्मचारी - सुबह 8.00 से शाम 4.00 तक, मतलब आठ घंटे.. 

मैनेजर - मतलब दिन का कितना भाग तुम काम करते हो ? 

कर्मचारी - (हिसाब लगाता है) 24/8= 3 एक तिहाई भाग 

मैनेजर - बहुत बढिया..अब साल भर के 366 दिनों का एक-तिहाई कितना होता है ? 

कर्मचारी - (???) 366/3 = 122 दिन.. 

मैनेजर - तुम "वीक-एण्ड" पर काम करते हो ? 

कर्मचारी - नहीं 

मैनेजर - साल भर में कितने वीक-एण्ड के दिन होते हैं ? 

कर्मचारी - 52 शनिवार और 52 रविवार, कुल 104 

मैनेजर - बढिया, अब 122 में से 104 गये तो कितने बचे ? 

कर्मचारी - 18 दिन 

मैनेजर - एक साल में दो सप्ताह की"सिक लीव" मैं तुम्हें देता हूँ, ठीक ? 

कर्मचारी - जी 

मैनेजर - 18 में से 14 गये, तो बचे 4 दिन, ठीक ? 

कर्मचारी - जी 

मैनेजर - क्या तुम मई दिवस पर काम करते हो ? 

कर्मचारी - नहीं.. 

मैनेजर - क्या तुम 15 अगस्त,26 जनवरी और 2 अक्टूबर को काम करते हो ? 

कर्मचारी - नहीं.. 

मैनेजर - जब तुमने एक दिन भी काम नहीं किया, फ़िर किस बात की शिकायत कर रहे हो भाई. 

:-)  :-)  :-)
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The End
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