रविवार, दिसंबर 28, 2014

लेडीज को सीट ऑफर :-)

एक साहब सुबह-सुबह ऑफिस जाने के लिए बस में चढ़े तो 
कंडक्टर ने मुस्कुराते हुए पूछा :– 

“कल रात ठीक-ठाक घर पहुँच गए थे सर ?” 
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साहब: – “क्यों ? कल रात को मुझे क्या हुआ था ?” 
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कंडक्टर – “टुन्न थे आप !” 
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साहब (गुस्से से) :– “ये तुम कैसे कह सकते हो ? मैंने तो तुमसे बात तक नहीं की थी ?” 
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कंडक्टर: – “ऐसा है सर जी, कल जब आप बस में बैठे हुए थे तो एक मैडम बस में चढीं थी और आपने उठकर उन्हें सीट ऑफर की थी !” 
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साहब: – “तो ? लेडीज को सीट ऑफर करना गुनाह है क्या ???” 
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कंडक्टर :– “गुनाह तो नहीं है सर, पर उस समय बस में केवल आप दो ही पैसेंजर थे !!!” 

:-)  :-)  :-)
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The End 
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शनिवार, दिसंबर 27, 2014

नज़रिए का फर्क

एक प्रख्यात लेखक अपने स्टडी रूम में बैठे थे। उन्होंने पेन उठाया और लिखना शुरू किया :- 

"पिछले वर्ष मेरा ऑपरेशन हुआ और गॉल ब्लॉडर निकल दिया गया, इसकी वजह से लम्बे समय तक मैं बिस्तर पर रहा। इसी साल मेरी उम्र 60 वर्ष की हो गयी और मुझे अपनी पसंदीदा जॉब छोड़नी पड़ी। मैंने अपने जीवन के 30 साल इस पब्लिशिंग कंपनी में बिताये। इसी वर्ष मुझे पिता जी की मौत के दर्द से भी मुझे गुजरना पड़ा … और इसी साल मेरा बेटा कार एक्सीडेंट की वजह से अपने मेडिकल इम्तिहान में भी फेल हो गया .... उसे कई दिनों तक हॉस्पिटल में रहना पड़ा। कार ख़राब हो गयी सो अलग।" 
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अंत में उसने लिखा - "ओह ~~ ये बहुत ही ख़राब वर्ष रहा।" 
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लेखक अपने शोक में डूबा हुआ था, तभी उसकी पत्नी कमरे में आई। उसने पीछे खड़े होकर पति के लिखे विचारो को पढ़ा। वो चुपचाप कमरे से बाहर चली गई। थोड़ी देर बाद वो एक दूसरा पेपर ले कर आई और अपने पति द्वारा लिखे पेपर के बगल में रख दिया। 
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लेखक ने देखा कि उस पेपर में लिखा हुआ था :- 

"पिछले साल मुझे अपने गाल ब्लेडर से छुटकारा मिल गया, जिसकी वजह से इतने साल मैंने दर्द में गुजारे। बहुत अच्छे स्वास्थ्य के साथ मैंने 60 वर्ष पुरे किये और अपनी जॉब से रिटायर हो गया। अब मैं अपना समय और बेहतर लिखने में बिताऊंगा बताउगा। इसी वर्ष भगवान ने मेरे बेटे को नया जीवन प्रदान किया। मेरी गाड़ी जरूर बर्बाद हो गयी लेकिन मेरा बेटा बिना किसी अपंगता के सकुशल है। इसी साल मेरे पिता 85 वर्ष की आयु में बिना किसी पर निर्भर हुए भगवन के पास चले गए।" 

अंत में लिखा था - "भगवन के आशीर्वाद से भरा ये साल बहुत अच्छा बीता।" 
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देखा आपने ? 
एक ही घटना लेकिन नजरिया अलग अलग। 
अगर सकारात्मक सोच हो तो जीवन को बेहतर ढंग से जिया जा सकता है ! 

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The End
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कर्मचारी की शिकायत और मैनेजर का केलकुलेशन

दो वर्ष तक नौकरी करने के बाद एक व्यक्ति को समझ में आया कि इन दो सालों में न कोई प्रमोशन, ना ट्रांसफ़र, ना कोई तनख्वाह वृद्धि, और कम्पनी इस बारे में कुछ नहीं कर रही है.. 
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उसने फ़ैसला किया कि वह HR मैनेजर से मिलेगा और अपनी बात रखेगा... लंच टाईम में वह HR मैनेजर से मिला और उसने अपनी समस्या रखी.. 
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HR मैनेजर बोला, मेरे बच्चे तुमने इस कम्पनी में एक दिन भी काम नहीं किया है... 

कर्मचारी भौंचक्का हो गया और बोला - ऐसा कैसे.. ? पिछले दो वर्ष से मैं यहाँ काम कर रहा हूँ.. 

HR मैनेजर बोला - देखो मैं समझाता हूँ... एक साल में कितने दिन होते हैं ? 

कर्मचारी - 365 या 366 

मैनेजर - एक दिन में कितने घंटे होते हैं ? 

कर्मचारी - 24 घंटे 

मैनेजर - तुम दिन में कितने घंटे काम करते हो ? 

कर्मचारी - सुबह 8.00 से शाम 4.00 तक, मतलब आठ घंटे.. 

मैनेजर - मतलब दिन का कितना भाग तुम काम करते हो ? 

कर्मचारी - (हिसाब लगाता है) 24/8= 3 एक तिहाई भाग 

मैनेजर - बहुत बढिया..अब साल भर के 366 दिनों का एक-तिहाई कितना होता है ? 

कर्मचारी - (???) 366/3 = 122 दिन.. 

मैनेजर - तुम "वीक-एण्ड" पर काम करते हो ? 

कर्मचारी - नहीं 

मैनेजर - साल भर में कितने वीक-एण्ड के दिन होते हैं ? 

कर्मचारी - 52 शनिवार और 52 रविवार, कुल 104 

मैनेजर - बढिया, अब 122 में से 104 गये तो कितने बचे ? 

कर्मचारी - 18 दिन 

मैनेजर - एक साल में दो सप्ताह की"सिक लीव" मैं तुम्हें देता हूँ, ठीक ? 

कर्मचारी - जी 

मैनेजर - 18 में से 14 गये, तो बचे 4 दिन, ठीक ? 

कर्मचारी - जी 

मैनेजर - क्या तुम मई दिवस पर काम करते हो ? 

कर्मचारी - नहीं.. 

मैनेजर - क्या तुम 15 अगस्त,26 जनवरी और 2 अक्टूबर को काम करते हो ? 

कर्मचारी - नहीं.. 

मैनेजर - जब तुमने एक दिन भी काम नहीं किया, फ़िर किस बात की शिकायत कर रहे हो भाई. 

:-)  :-)  :-)
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The End
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कुत्तों को जलेबियाँ :-)

इन्कम टैक्स अधिकारी :- 
"बाकी तो सब ठीक है सेठ जी ,,, लेकिन आपने कुत्तों को जलेबी खिलाने का खर्चा पांच लाख रुपये जो लिखा है, उससे हम संतुष्ट नहीं हैं ! क्या आप उस खर्चे से सम्बंधित कोई दस्तावेज पेश कर सकते हैं ?" 
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सेठ जी :- 
"नहीं साहब ,,, इसके दस्तावेज मेरे पास नहीं हैं" 
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इन्कम टैक्स अधिकारी :- 
"चलो फिर हम बात को यहीं रफा-दफा कर लेते हैं ,,, इसके बदले आप हमें दस हजार रुपये दे दें" 
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सेठ जी मान गए और बोले :- 
"ठीक है मैं आपको दस हजार रुपये दे देता हूँ ....." 
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सेठ जी ने मुनीम को आवाज़ लगाई :- 
"मुनीम जी इन लोगों को दस हजार रुपये दे दो और खाते में लिख देना कि 
कुत्तों ने दस हजार की जलेबियाँ और खायीं" 
'
:-)  :-)  :-)
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The End 
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शुक्रवार, दिसंबर 26, 2014

तीन बेचारे :-)

एक सुबह डॉक्टर के क्लीनिक में एक मरीज बहुत तेज पीठ दर्द की शिकायत लेकर आया। 
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डॉक्टर ने पड़ताल करके उससे पूछा: तुम्हारी पीठ को हो क्या गया है ? 
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मरीज :- सर मैं एक नाइट क्लब में काम करता हूं। आज सुबह जब मैं अपने अपार्टमेंट में लौटा तो मुझे कमरे में कुछ आवाजें सुनाईं दीं। जब मैं कमरे में घुस रहा था तो मुझे पता था कि मेरी पत्नी के साथ कोई था। क्योंकि बालकनी का दरवाजा खुला हुआ था। मैं बालकनी की ओर दौड़ा पर वहां कोई था नहीं। जब मैंने बालकनी से नीचे देखा तो एक आदमी कपड़े पहनते हुए दौड़ रहा था। मैं बहुत गुस्से में था तो मैंने फ्रिज उठाकर उसे फेंक के दे मारा। फ्रिज बहुत ही ज्यादा भारी था तो मेरी पीठ टेड़ी हो गई। 
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थोड़ी देर बाद एक और मरीज आया और उसकी हालत पहले मरीज से भी ज्यादा खराब थी। 
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डॉक्टर :- तुम्हारी हालत बहुत ही टूटी फूटी है। क्या हो गया तुम्हें ? 
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मरीज:- आप नहीं जानते लेकिन मैं कुछ दिनों से बेरोजगार था। आज मेरी नौकरी का पहला दिन था। सुबह मेरी घड़ी का अलार्म भी नहीं बजा। मैं ऑफिस के लिए बहुत लेट हो गया तो मैं अपने बिल्डिंग के नीचे दौड़ते हुए ऑफिस जा रहा था और साथ-साथ तैयार भी होता जा रहा था..और आपको यकीन नहीं होगा पता नहीं कहां से मेरे ऊपर फ्रिज आ गिरा। मुझे नहीं पता कहां से और क्यों। लेकिन मेरी पीठ जरूर टूट गई। 
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कुछ ही देर बाद डॉक्टर के यहां एक और मरीज आया जो बिल्कुल ही मरने की हालत में लग रहा था। 
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डॉक्टर ने कहा क्या हो गया तुम्हें ? 
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मरीज :- मैं फ्रिज में था। 

:-)  :-)  :-) 
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The End
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